Karm Path Par book and story is written by Ashish Kumar Trivedi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Karm Path Par is also popular in फिक्शन कहानी in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
कर्म पथ पर - उपन्यास
Ashish Kumar Trivedi
द्वारा
हिंदी फिक्शन कहानी
Chapter 1सन 1942 का दौर था। सारे देश में ही अंग्रेज़ों को देश से बाहर कर स्वराज लाने का प्रबल संकल्प था। देश को अंग्रज़ों की पराधीनता से छुड़ाने का जुनून हर स्त्री, पुरुष और युवा पर छाया था।9 अगस्त 1942 को गांधीजी ने बंबई के गोवालिया टैंक मैदान से अंग्रेजों को भारत छोड़ कर जाने की चेतावनी दी। उन्होंने देशवासियों को नारा दिया 'करो या मरो'। गांधीजी के इस आवाहन पर हजारों की संख्या में नर नारी सड़कों पर उतर पड़े। युवा वर्ग इस मुहिम में बढ़ चढ़ कर
Chapter 1सन 1942 का दौर था। सारे देश में ही अंग्रेज़ों को देश से बाहर कर स्वराज लाने का प्रबल संकल्प था। देश को अंग्रज़ों की ...और पढ़ेसे छुड़ाने का जुनून हर स्त्री, पुरुष और युवा पर छाया था।9 अगस्त 1942 को गांधीजी ने बंबई के गोवालिया टैंक मैदान से अंग्रेजों को भारत छोड़ कर जाने की चेतावनी दी। उन्होंने देशवासियों को नारा दिया 'करो या मरो'। गांधीजी के इस आवाहन पर हजारों की संख्या में नर नारी सड़कों पर उतर पड़े। युवा वर्ग इस मुहिम में बढ़ चढ़ कर
Chapter 2मुंशी दीनदयाल खाने के बाद लेटे हुए आराम कर रहे थे। किंतु मन बेचैन था। अब अक्सर स्वास्थ खराब रहता था। उन्हें लगता था कि अधिक दिन जीवित नहीं रह पाएंगे। एक वर्ष पहले ही उन्होंने मुनीमतगिरी से ...और पढ़ेग्रहण कर लिया था। अब सेठ जी के यहाँ से थोड़ी सी पेंशन मिलती थी। उसी से काम चलता था।उनकी चिंता का कारण धन नहीं था। थोड़ी बहुत जमा पूंजी थी जिससे जीवन आराम से कट सकता था। उन्हें फिक्र थी अपनी बेटी वृंदा की। वह छोटी उम्र
कर्म पथ पर Chapter 3कैसरबाग में श्यामलाल टंडन का शानदार बंगला था। श्यामलाल ...और पढ़ेरहन सहन पश्चिमी तौर तरीकों पर आधारित था। उनका खान पान, लिबास और बोली सभी कुछ अंग्रेज़ी था।अंग्रेज़ों की तरह ही वह वक्त के बहुत पाबंद थे। उनके हर काम का नियत समय था। वह उसी के अनुसार काम करते थे। कारिंदों से काम में ज़रा सी भी चूक होती थी तो उनकी खैर नहीं होती थी। यह
कर्म पथ पर Chapter 4घायल हाथ लिए वृंदा जब अपने घर पहुँची तो उसे देख कम्मो घबरा ...और पढ़े हाय दइया..! यू का भया दीदी। कुछ नहीं तुम जाकर दवा का डब्बा ले आओ। वृंदा मरहम पट्टी करना जानती थी। कम्मो भाग कर दवा का डब्बा ले आई। वृंदा के हर निर्देश का कम्मो अच्छी तरह पालन कर रही थी। कुछ ही देर में वृंदा ने घाव साफ कर पट्टी बाँध ली। कम्मो उसके लिए हल्दी वाला दूध ले आई। दूध का
कर्म पथ पर Chapter 5लखनऊ में एक केस चर्चा का विषय बना हुआ था। लखनऊ के ...और पढ़ेप्रमुख अखबारों में इस केस की चर्चा हो रही थी। केस सत्रह साल के एक क्रांतिकारी युवक मानस पाठक पर चल रहा था। मानस पर आरोप था कि उसने एक अंग्रेज़ पुलिस अधिकारी जॉर्ज बर्ड्सवुड के काफिले पर बम फेंका था। मानस उन्नाव का रहने वाला था। वह एक निर्धन किसान परिवार से ताल्लुक रखता था। वह इंटरमीडिएट की पढ़ाई करने के