Abandoned book and story is written by Pradeep Shrivastava in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Abandoned is also popular in सामाजिक कहानियां in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
एबॉन्डेण्ड - प्रदीप श्रीवास्तव भाग 1 इसे आप कहानी के रूप में पढ़ रहे हैं, लेकिन यह एक ऐसी घटना है जिसका मैं स्वयं प्रत्यक्षदर्शी रहा हूं। चाहें तो आप इसे एक रोचक रिपोर्ट भी कह सकते हैं। इस ...और पढ़ेघटना के लिए पूरे विश्वास के साथ यह भी कहता हूं कि यह अपने प
एबॉन्डेण्ड - प्रदीप श्रीवास्तव भाग 2 युवती थोड़ा जल्दी में है क्योंकि गोधुलि बेला बस खत्म ही होने वाली है। मगर युवक जल्दी में नहीं है। वह इत्मीनान से कह रहा है। ‘सुनो, यहां जो स्टेशन है, रेलवे स्टेशन।’ ...और पढ़ेहां, बोलो तो, आगे बोलो, तुम्हारी बड़ी खराब आदत है एक ही बात को बार-बार दोहराने की।’ ‘अच्छा! तुम भी तो बेवजह बीच में कूद पड़ती हो। ये भी नहीं सोचती, देखती कि बात पूरी हुई कि नहीं।’ ‘अच्छा अब नहीं कूदूंगी। चलो, अब तो बताओ ना।’ ‘देखो स्टेशन से आगे जाकर एक केबिन बना हुआ है। वहां बगल में
एबॉन्डेण्ड - प्रदीप श्रीवास्तव भाग 3 ‘अजीब पगली लड़की है। घर में सामान रखना शुरू करोगी। उसे लेकर निकलोगी तो जिसे शक ना होना होगा वह भी जान जाएगा और तुरन्त पकड़ ली जाओगी।’ ‘अरे कुछ कपड़े तो लूंगी। ...और पढ़ेनिकलूंगी तो क्या पहनूंगी, क्या करूंगी?’ ‘तुम उसकी चिंता ना करो। हम कई साल ज़्यादा से ज़्यादा पैसा इकट्ठा करते आएं हैं। हमने काम भर का कर भी लिया है जिससे कि यहां से कोई सामान लेकर ना चलना पड़े। जो कपड़ा पहनें बस वही और कुछ नहीं। ताकि सामान के चक्कर में धरे ना जाएं। जब जरूरत होगी तब
एबॉन्डेण्ड - प्रदीप श्रीवास्तव भाग 4 दोनों अपनी पूरी ताक़त से बड़ी तेज़ चाल से चल रहे हैं। लग रहा है कि बस दौड़ ही पड़ेंगे। उधर क्षितिज रेखा पर कुछ देर पहले तक दिख रहा केसरिया बड़े थाल ...और पढ़ेअर्ध घेरा भी कहीं गायब हो गया है। बस धुंधली लालिमा भर रह गई है। आपने यह ध्यान दिया ही होगा कि दोनों कितने तेज़, होशियार हैं। कितने दूरदर्शी हैं कि यदि कहीं पुलिस पकड़ ले तो वह अपने सर्टिफ़िकेट्स दिखा सकें कि वह बालिग हैं और जो चाहें वह कर सकते हैं। क्या आप यह मानते हैं कि आज
एबॉन्डेण्ड - प्रदीप श्रीवास्तव भाग 5 ‘कोई मालगाड़ी होगी। पैसेंजर गाड़ी तो साढ़े तीन बजे है, जो हम दोनों को यहां से दूर, बहुत दूर तक ले जाएगी।’ ‘पैसेंजर है तो हर जगह रुकते-रुकते जाएगी।’ ‘नहीं अब पहले की ...और पढ़ेपैसेंजर ट्रेन्स भी नहीं चलतीं कि रुकते-रुकते रेंगती हुई बढ़ें। समझ लो कि पहले वाली एक्सप्रेस गाड़ी हैं जो पैसेंजर के नाम पर चल रही हैं। यहां से चलेगी तो तीन स्टेशन के बाद ही इसका पहला स्टॉपेज है।’ ‘सुनो, तुम सही कह रहे थे। देखो मालगाड़ी ही जा रही है।’ ‘हां।’ ‘लेकिन तुम इतना दूर क्यों खिसक गए हो।