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रिश्ता एक कागज का. - उपन्यास
Dhruv oza
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
निशांत :- पोपकोर्न खाओगी ? ये भैया बहोत अच्छे पॉपकॉर्न बनाता है पता है ?क्यारा :- हम यहा शायद पोपकोर्न खाने नही आये निशांत ? एक साल में कुछ कुछ तो में समजती हु आपको ।निशांत :- अच्छा ज़रा बताओ तो हम भी जाने ऐसा क्या समजे आप ।क्यारा :- (हल्का मुस्काके) समझ ने वाली बातें बताई नही जाती, ये रूह खुद गवाही देती है ।निशांत :- यार ये निशाने पे तीर मारना कब बंध करोगी तुम , ठीक है; तो सुनो मैं ये जानना चाहता हु तुमने क्या सोचा है ? हमारा कॉन्ट्रेक्ट अब पूरा होने को आया है
निशांत :- पोपकोर्न खाओगी ? ये भैया बहोत अच्छे पॉपकॉर्न बनाता है पता है ?क्यारा :- हम यहा शायद पोपकोर्न खाने नही आये निशांत ? एक साल में कुछ कुछ तो में समजती हु आपको ।निशांत :- अच्छा ज़रा ...और पढ़ेतो हम भी जाने ऐसा क्या समजे आप ।क्यारा :- (हल्का मुस्काके) समझ ने वाली बातें बताई नही जाती, ये रूह खुद गवाही देती है ।निशांत :- यार ये निशाने पे तीर मारना कब बंध करोगी तुम , ठीक है; तो सुनो मैं ये जानना चाहता हु तुमने क्या सोचा है ? हमारा कॉन्ट्रेक्ट अब पूरा होने को आया है
निशांत - ये लीजिये दयानंदजी आपकी फाइल, ओर ये फोटो जो उसमे से मैने निकाला है , ये लड़की मुजे पसंद है,दयानंद - दिखाईये ज़रा ये लड़की? अरे ये तो 21 साल की है और आप...कोई नही जी अब ...और पढ़ेचुना है तो ठीक है वैसे 60000 - इसकी फीस है , ओर कागज़-पतर का खर्चा आपका रहेगा, दयानंद - ओर हा, जैसा में पहले कह चुका हूं, एक साल का कागज़ बनेगा, ओर कोई शारीरिक संबंध वर्जित है,लड़की अगर चाहेगी तोहि ये शादी होगी , उसके रहने खाने का ओर कपड़े-लत्ते सब आपको करना है, ठीक है?निशांत - जी बिलकुल, तो
(निशांत घर से ऑफिस के लिए निकलते हुए)निशांत - अच्छा, क्यारा सुनो वो हमें परसो जाना है,आज सुबह दयानंदजी का मैसेज आया था, कि हम कब तक आ रहे है वहां मेने परसो का कहा है आज ऑफिस से ...और पढ़ेले लूंगा ओर आते हुए टिकिट्स भी लेते आऊंगा कल रात की ट्रेन के , ठीक हेना,क्यारा - (मस्ती में हस्ते हुए) फिर कोई नया कागज़ बनवाने का प्लान है क्या ? निशांत - क्या यार क्यारा एक तो कल रात को गार्डन में तुमने जवाब नही दिया तो वेसे भी में खोया हुआ हूं, ऊपर से तुम्हे मज़ाक सूज रहा है
(निशांत अपने डेस्क पे वर्क कर रहा होता है तभी एक पार्सल एक गार्ड के तरफ़ से मिलता है)शंकर - अरे निशांत क्या मंगाया यार, भाभी के लिए गिफ्ट मंगाया क्या ?निशांत - नही यार ये ऐसा कुछ नही ...और पढ़े, हा गिफ्ट कह सकते हो लेकिन ये क्यारा ओर मेरे दोनो के लिए है ।शंकर - अच्छा क्या है बताना , निशांत - अरे अभी टाइम नही है तू जा अपना काम कर टाइम आने पे तुजे पता चल जाएगा।शंकर - अरे यार काम खत्म हो गया है मेरा , अच्छा ये छोड़ चल चाय पीने चलते है , कितने
(निशांत एक फ़ूड पॉइंट पे बैठे हुए कुछ सोच रहा है तभी पीछे से केयूर अपना हाथ निशांत के कंधे पर रखता है)केयूर - अरे यार क्या सोच रहा है , ओर तूने नास्ते का आर्डर दिया या नही ...और पढ़े- नही रुक अभी दे देता हूं , (निशांत वेटर को बुलाके आर्डर देता है)केयूर - अब बात क्या बात है , क्या सोच रहा है ।निशांत - कुछ नही यार , यही सोच रहा था कि एक साल हो रहा है मेरी शादी को ओर पेहली ही एनिवर्सरी पे ये गिफ्ट दे रहा हु क्यारा को अच्छा तो लगेगा ना