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नूरीन - उपन्यास
Pradeep Shrivastava
द्वारा
हिंदी महिला विशेष
नुरीन होश संभालने के साथ ही अपनी अम्मी की आदतों, कामों से असहमत होने लगी थी। जब कुछ बड़ी हुई तो आहत होने पर विरोध भी करने लगी। ऐसे में वह अम्मी से मार खाती और फिर किसी कमरे के किसी कोने में दुबक कर घंटों सुबुकती रहती। दो-तीन टाइम खाना भी न खाती। लेकिन अम्मी उससे एक बार भी खाने को न कहती। बाकी चारो बहनें उससे छोटी थीं। जब अम्मी उसे मारती थी तो वह बहनें इतनी दहशत में आ जातीं कि उसके पास फटकती भी न थीं। सब अम्मी के जोरदार चाटों, डंडों, चिमटों की मार से थर-थर कांपती थीं। वह चाहे स्याह करे या सफेद, उसके अब्बू शांत ही रहते। अम्मी जब आपा खो बैठतीं, डंडों, चिमटों से लड़कियों को पीटतीं तो बेबस अब्बू अपनी एल्यूमिनियम की बैशाखी लिए खट्खट् करते दूसरी जगह चले जाते।
नूरीन प्रदीप श्रीवास्तव भाग 1 नुरीन होश संभालने के साथ ही अपनी अम्मी की आदतों, कामों से असहमत होने लगी थी। जब कुछ बड़ी हुई तो आहत होने पर विरोध भी करने लगी। ऐसे में वह अम्मी से मार ...और पढ़ेऔर फिर किसी कमरे के किसी कोने में दुबक कर घंटों सुबुकती रहती। दो-तीन टाइम खाना भी न खाती। लेकिन अम्मी उससे एक बार भी खाने को न कहती। बाकी चारो बहनें उससे छोटी थीं। जब अम्मी उसे मारती थी तो वह बहनें इतनी दहशत में आ जातीं कि उसके पास फटकती भी न थीं। सब अम्मी के जोरदार चाटों,
नूरीन प्रदीप श्रीवास्तव भाग 2 हार कर वह अम्मी से बोली थी कि एक बार वह भी चाचाओं से बोले। लेकिन वह तो जैसे अंजाम का इंतजार कर रही थीं। नुरीन की बात पर टस से मस नहीं हुईं ...और पढ़ेकुछ बोलती ही नहीं। बुत बनी उसकी बात बस सुन लेती थीं। नुरीन हर तरफ से थक हार कर आखिर में दादा के पास पहुंची। उनके हाथ जोड़ फफक कर रो पड़ी कि ‘दादा अब्बू को बचा लो। सबने साथ छोड़ दिया दादा। अब आप ही कुछ करिए। अब तो अम्मी भी कुछ नहीं बोलती। दादा बिना अब्बू के कैसे
नूरीन प्रदीप श्रीवास्तव भाग 3 दादा बेड पर लेटे-लेटे उस बिल्डर का इंतजार कर रहे थे। जिसे वह बात करने के लिए फ़ोन कर बुला चुके थे। क्योंकि माफिया नेता ने उन्हें निराश किया था। वह अपने को ठगा ...और पढ़ेसा महसूस कर रहे थे। उसने बड़ी होशियारी से उनकी खूब आव-भगत की थी। गले लगाया था। बड़े आत्मीयता भरे लफ्ज़ों में कहा था। अरे चचाजान आप परेशान न होइए। आपको शाद के इलाज के लिए जितना पैसा चाहिए बीस-पचीस लाख वह ले जाइए। पहले उसका इलाज कराइए बाकी सौदा लिखा-पढ़ी होती रहेगी। आप जो रकम कहेंगे हम देने को
नूरीन - प्रदीप श्रीवास्तव भाग 4 अंततः मुन्ने खां को हवालात में डाल दिया गया। अगले तीन दिन उनके हवालात में ही कटने वाले थे। क्योंकि अगले दिन किसी त्योहार की और फिर इतवार की छुट्टी थी। नुरीन जब ...और पढ़ेख़ालु के साथ घर पहुंची तो देखा रात नौ बजने वाले थे फिर भी घर के आस-पास दर्जनों लोगों का जमावड़ा था। सारे लोगों के चेहरे घूम कर उन्हीं लोगों की तरफ हो रहे थे। अंदर पहुँचते ही नुरीन फूट-फूटकर रोने लगी। अब तक एक-एक कर सारी फुफ्फु-फूफा, ख़ालु-खाला सब आ चुके थे। घर लोगों से भर चुका था। साथ
नूरीन - प्रदीप श्रीवास्तव भाग 5 अम्मी के दबाव में मैंने जो गुनाह किया है उसकी सजा अल्लाह जो देगा वो तो देगा ही। पुलिस उससे पहले ही हड्डी-पसली एक कर देगी। दुनिया थूक-थूक कर ही ऐसी जलालत की ...और पढ़ेमें झोंक देगी कि मेरे सामने सिवाय कहीं डूब मरने के कोई रास्ता नहीं होगा। अम्मी का यह झूठ-गुनाह बस दो चार दिन का ही है। उसके गुनाह से मैंने यदि समय रहते निजात ना पा ली तो सब कुछ बरबाद होने, तबाह होने से बचा ना पाऊंगी। समय रहते अम्मी के गुनाह की इस दुनिया को नष्ट करना ही