Anand Tripathi लिखित कथा

काल्पनिक भय

by Anand Tripathi
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कल्पना में की गई बाते या दृश्य कभी सिद्ध नही होते। मौत का सिद्धांत सत्य है। बिल्कुल सत्य पंरतु ...

प्रेम निबंध - भाग 17

by Anand Tripathi
  • 2.8k

कहानी उससे आगे बढ़ती लेकिन उन्होंने कहानी में नया कथानक जोड़ दिया था इसलिए अब महता और मालवी को ...

भगवान कैसे होते हैं?

by Anand Tripathi
  • 3.2k

एक समय की बात है एक गांव में कहीं से एक बहुत बड़े विद्वान आए । विद्वान से मिलने ...

थोड़ा और

by Anand Tripathi
  • 5.6k

जब तक हम सत्य जानते हैं। तब तक बहुत देर हो जाती है। यह आत्मा, इंद्रिय,मन कितने वज्र के ...

बैकबेंचर

by Anand Tripathi
  • 10k

राहुल राहुल,नीचे बैठ जा मैम ने कहा है। तुम दोनो बाहर से अंदर आ जाओ। मॉनिटर की कर्कश आवाज़ ...

प्रेम निबंध - भाग 16

by Anand Tripathi
  • 2.7k

उस रात को मुझे भी कहीं न कहीं नींद नहीं आ रही थी। जिस कारण देर रात पढ़ाई करता ...

प्रेम निबंध - भाग 15

by Anand Tripathi
  • 2.9k

अब सब बताया है तो ये भी बता ही दो कब कर रही हो निकाह कुबूल उससे। जिसके जिस्म ...

मुंशी प्रेमचंद जीवनी

by Anand Tripathi
  • 6.2k

हिन्दी कहानी व उपन्यास के क्षेत्र को ‘प्रेमचंद युग’ दिखाने वाले मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को ...

प्रेम निबंध - भाग 14

by Anand Tripathi
  • 3k

समय यात्रा करते करते कुछ और दिन यू ही बीते जैसे बीती रात बिना किसी चांद के फिर भी ...

हिंदी नए चाल में ढली।

by Anand Tripathi
  • 4.9k

यह वाक्य भारतेंदु का है। जो उन्होने कालचक्र नामक जर्नल में लिखा था। ऐसा माना जाता है की शताब्दी ...