शिखा श्रीवास्तव लिखित कथा

फागुन के मौसम - भाग 2

by Shikha Srivastava
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अगले दिन जब सुबह की तरोताज़ा हवा के बीच दशाश्वमेध घाट पर राघव की तारा से मुलाकात हुई तब ...

फागुन के मौसम - भाग 1

by Shikha Srivastava
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'होली आयी रे कन्हाई, रंग बरसे बजा दे ज़रा बाँसुरी...' सुबह के दस बज रहे थे जब 'वैदेही गेम्स ...

रुद्र: कोरोना रक्षक

by Shikha Srivastava
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"त्राहिमाम, प्रभु, त्राहिमाम" कैलाश की सुरम्य वादियों में एक वेदना भरा नारी स्वर गूँजा। "अरे ये तो देवी पृथ्वी ...

अच्छी लड़कियां और बुरी लड़कियां

by Shikha Srivastava
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सुबह अलसाई हुई आई थी। लेकिन पंछियों ने उसका ऐसा स्वागत किया था कि उसमें एक नया जोश पैदा ...

बहती रहना माँ गंगा

by Shikha Srivastava
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अपना अंतिम पर्चा खत्म करके जैसे ही नैना परीक्षा-भवन से निकली उसकी सहेलियों ने उसे घेर लिया। "अरे सुन ...