bharat Thakur लिखित कथा

डरना जरूरी है

by bharat Thakur
  • (4.2/5)
  • 18.6k

सुनसान वीरानी पगडंडी पर वो परछाई न जाने कब से अपनी आहट को समेटे रात के इस अंधियारे को ...

गहरी चाल

by bharat Thakur
  • 11.6k

हाथ मे चाकू लिए रोमिल कमरे के एक कोने में खड़ा हुआ था। कमरे में खून पसरा हुआ था। ...

बदला उस गलती का

by bharat Thakur
  • 9k

जिस्म से बु आ रही थी उसके। लग रहा था जैसे कई महीनों से नही नहाया। चेहरा भी विक्षिप्त ...

लिफ्ट वाली लड़की

by bharat Thakur
  • 7.5k

बदन को गुजरती हुई पवन के झोंके ने सहलाया। मैं अचेतन से चेतन की ओर धीरे धीरे अग्रसर हो ...

सर्जिकल स्ट्राइक

by bharat Thakur
  • 10.5k

कोमल की सिसकियां पूरे कमरे में गूंज रही थी। निवेदिता ने उसका हाथ धरा और आंखों से ही उसे ...

ए आई डिटेक्टिव

by bharat Thakur
  • (3.7/5)
  • 7.6k

आखिरकार हुसैन ने वो चीज बना ही ली थी जिसके लिए उसने अपने जीवन की आहुति दे दी। रात ...

चाभी

by bharat Thakur
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"पड़ोसी की रात मौत हो गयी है, एक बार उनकी लकड़ी में चले जाना!" सुबह हुई ही नही थी ...

निर्णय

by bharat Thakur
  • 5.3k

"जिंदगी से अक्सर मैं रूठा रूठा सा था, फिर तुम मिली, जैसे जिंदगी के साज एक साथ मिल गए।" ...

पेशावर

by bharat Thakur
  • 4.9k

4 जनवरी, 2012 "ये वतन! हमारा है!! इस वतन को फिरकापरस्त लोगो ने कब्जाया हुआ है। मुझे अपनी अपनी ...