दिनेश कुमार कीर लिखित कथा

ऊंट और गीदड़

by दिनेश कुमार
  • 339

1.ऊंट और गीदड़एक जंगल में ऊंट और गीदड़ रहते थे। वे पक्के मित्र थे। ऊंट सीधा - सादा तथा ...

हंस और कौवा

by दिनेश कुमार
  • 435

हंस और कौवापुराने जमाने में एक शहर में दो ब्राह्मण पुत्र रहते थे, एक गरीब था तो दूसरा अमीर.. ...

काश आप हमारे होते

by दिनेश कुमार
  • 369

1.चाहतें होती है बिल्कुल औंस की बूंदों जैसी,कोमल, सुंदर, नम और मनमोहक सी ...!2.कभी बेसाख्ता हंस दूं तो समझ ...

मेरी मुस्कान तुम से है

by दिनेश कुमार
  • 387

1.मैं लिखना चाहती हूं एक ख़त,इन हवाओं के ज़रिए,मैं पंहुचाना चाहती हूं तुम तक,अपने एहसास,अपने जज़्बात सारे,सुनो,क्या मेरी तरह ...

भाग्य

by दिनेश कुमार
  • 540

"भाग्य....विवाहयोग्य युवक युवती के परिवार वाले ध्यान से पढ़े..!!एक 26 वर्षीय लड़की के पिताजी को उसके नजदीक के परिजन ...

मन परिंदा

by दिनेश कुमार
  • 363

1.यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करोवो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके चुपके ...

प्यार के परिंदे

by दिनेश कुमार
  • 411

1दिल्लगी में हो, ना जाना इतने मशगूल की सही गलत का फर्क भी जाओ भूल दिल लगाना किसी ऐसे ...

दिल का रिश्ता

by दिनेश कुमार
  • 447

1.उनकी मेहरबानी बेमिसाल थीजाते जाते हजारों गम दे गये हम कितने खुदगर्ज निकले मोहब्बत के सिवा उनको कुछ और ...

जिन्दगी एक पहेली

by दिनेश कुमार
  • 666

1.पूछा जो हमसे कि क्या हुआहमने कहा….“कुछ नहीं”इस ‘कुछ नहीं’ में कितना कुछ होता है नामगर उस होने को ...

एक गाँव की कहानी

by दिनेश कुमार
  • 960

एक गाँव की कहानी "अहा! इतने लम्बे - चौड़े खेत। धन्य हो! हमारे पितरों ने कैसे कब इनका निर्माण ...