तभी प्रोफेसर अवस्थी कैंटीन से उठ कर चले जाते हैं रिचा ये देख कर मन ही मन सोचने लगती ...
रितु कि बच्ची तुम दोनों कोन सा कैंटीन मे बैठने के लिए कॉलेज जल्दी आई हो अब ये तो ...
रिचा चौक जाती है पापा आप, आप कब आए रिचा के पापा कहते है गुड़िया मैं तो अभी आया ...
आरूशी रिचा को ऋषिकेश घुमाने ले जाती है तनु भी साथ मे जाती है शाम को घर लौटती है ...
मैं ठीक हूँ तू कैसी,मैं भी ठीक हूँ, मामा जी मामी जी नहीं आई,रिचा के पापा कहते हैं नहीं ...
तो रिचा कही खोई खोई सी लगती है रिचा की माँ ये देख कर कहती है रिचा बेटा तू ...
ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहता और कुछ ही दिन मे कॉलेज फर्स्ट इयर के पेपर भी खत्म हो ...
हैलो नयन्सी हो गई तू तैयार नयन्सी कहती है रिचा यार तू भी न मैं जानती हु तू बेचैन ...
और रिचा फ़्रेश होकर खाना खाने चली जाती और खाना खाकर जल्दी से रूम मे आ जाती है ओर ...
ठीक है चलो और चारो कैंटीन चले जाते है कैंटीन मे बैठ कर चारो मस्ती करते है एक दूसरे ...