Jitendra Shivhare लिखित कथा

कोरोना प्यार है - 17 - अंतिम भाग

by Jitendra Shivhare
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(17)‌‌‌‌‌ "मां क्या बात है? कुछ परेशान लग रही हो।" दामिनी ने पुछा। "कुछ नहीं। ठाकुर साहब के यहां ...

कोरोना प्यार है - 16

by Jitendra Shivhare
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(16)‌‌‌‌‌ "मां आपने देखा! पिताजी और वो नौकरानी••।" कक्ष के पास खड़े विराज को पीठ पिछे से आती हुई ...

कोरोना प्यार है - 15

by Jitendra Shivhare
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(15)‌‌‌‌‌ "मैडम आप! आपको तो समझना चाहिए। समय कितना खराब चल रहा है और आप लोग इस तरह।" पुलिस ...

कोरोना प्यार है - 14

by Jitendra Shivhare
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(14)‌‌‌‌‌ "मैंने भी आज अगर तुम्हें अपना दीवाना न बना दिया न तो मेरा नाम अभिनव राणा नहीं।" अभिनव ...

कोरोना प्यार है - 13

by Jitendra Shivhare
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(13)‌‌‌‌‌ "सरल काम मुझे भी पसंद भी नहीं है। वैसे रेखा तुम्हें बाॅक्सींग ग्लब्स पहनकर वार करने की क्या ...

कोरोना प्यार है - 12

by Jitendra Shivhare
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(12)‌‌‌‌‌ रेखा के दिमाग में षड्यंत्र चल यहा था। उसने अपनी योजना अनुज को बताई। अनुज से उसने यह ...

कोरोना प्यार है - 11

by Jitendra Shivhare
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(11)‌‌‌‌‌ "लाओ! मैं तुम्हारी कमर में आयोडेक्स लगा दूं।" पार्थ ने सुजाता से कहा। सुजाता माहवारी के कठिन दिनों ...

कोरोना प्यार है - 10

by Jitendra Shivhare
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(10)‌‌‌‌‌ "गुड्डू इस अपमान को कभी नहीं भुला। जेल से रिहा होते ही उसने गौरी का किडनैप कर लिया। ...

कोरोना प्यार है - 9

by Jitendra Shivhare
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(9)‌‌‌‌‌ प्रिय! मैं कोई फिल्मी हिरो नहीं जो अकेले दम पर दस-बीस लोगों को पीटकर तुम्हें वहां से छुड़ा ...

कोरोना प्यार है - 8

by Jitendra Shivhare
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(8)‌‌‌‌‌ "किसका फोन था अनिल?" अनिल की मां शोभारानी ने पुछा। "पलक की भाभी सुजाता का फोन था मां।" ...