Madhavi Marathe लिखित कथा

स्पंदन - 6

by Madhavi Marathe
  • 417

१७: मौन का मंदिर साक्षात्कार प्राप्त हुए चुका शोईची, अपने शिष्यों को, तोफुकू मंदिर में सिखाते थे। दिन-रात ...

स्पंदन - 5

by Madhavi Marathe
  • 630

१०: ध्येय एक बार झेन मास्टरजीने सोचा की अब अपने शिष्यों का इम्तहान ले लेते है। अमावस ...

स्पंदन - 4

by Madhavi Marathe
  • 696

८: स्वर्ग-नरक एक दिन झेनगुरू ओैर ईश्वर में ज्ञानचर्चा चल रही थी। झेनगुरूं ने ईश्वर से पुछा ...

स्पंदन - 3

by Madhavi Marathe
  • 678

६ : मैले कपडे जपान के ओसाका शहर के नजदिक, एक छोटे गाव में एक झेन मास्टर ...

स्पंदन - 2

by Madhavi Marathe
  • 906

३: अमरत्व एक गाँव में वैद्य रहा करता था। लोगों को जडी-बुटी देकर उनके रोग दूर करता ...

स्पंदन - 1

by Madhavi Marathe
  • 1.9k

सर्कस - 20 (अंतिम भाग)

by Madhavi Marathe
  • 1.7k

सर्कस:२० दुसरे दिन सुबह छह बजे के बाद भोपाल गॅस दुर्घटना की खबर चारों ओर फैल गई। ...

सर्कस - 19

by Madhavi Marathe
  • 1.7k

सर्कस:१९ समय का पहिया घुम रहा था। मार्कोस के मृत्यु का सदमा अब धीरे-धीरे कम होने लगा, ...

सर्कस - 18

by Madhavi Marathe
  • 1.7k

सर्कस: १८ सुबह अरुणसर ने महत्वपूर्ण पेपर्स, चाबीयों का गुच्छा, रुपयों से भरी एक ब्रीफकेस जॉनभाई को ...

सर्कस - 17

by Madhavi Marathe
  • 1.6k

सर्कस:१७ सुबह उठ गया इस विचार से की आज कुछ नया सीखने मिलेगा। अभी तो पढाई शुरू ...