Monika kakodia लिखित कथा

बुलबुल - फ़िल्म समीक्षा

by monika kakodia
  • (4.5/5)
  • 10.3k

बुलबुल - फ़िल्म समीक्षा" ये बिछिया क्यों पहनाई जाती है पिशीमाँ ? ""ताकि वो उड़ ना पाएं"समाज की रीतियों ...

नई आदत

by monika kakodia
  • 6.4k

ज़रा धीरे हाथ चला बेटा.. चोट लग जाएगी, तुझे कहाँ की ट्रेन पकड़नी है, देखो हर बात में यूँ ...

शिवाम्बिका - 2

by monika kakodia
  • 4.9k

ये पल हैं शिव और अम्बिका के"ये क्या पहन रही हो, ये हील्स ज़रा भी तो मैच नहीं हो ...

कारन्टान

by monika kakodia
  • 5.1k

इससे पहले की आप कहें मैंने अशुद्ध लिखा है, चलिए पढ़ते हैं ये कहानी"हैल्लो..हैल्लो...कैन यु हेअर मी...आवाज़ आ रही ...

मेरे लफ्ज़ मेरी कहानी - 4

by monika kakodia
  • 6.8k

मैं एक लेखिका हूँ इस नाते ये मेरा दायित्व है कि लोगों की सोच पर पड़ी हुई गर्द को ...

शिवाम्बिका - 1

by monika kakodia
  • 6.3k

ये पल हैं प्यार भरे शिव और अम्बिका के -"शिवाम्बिका" के

मेरे लफ्ज़ मेरी कहानी - 3

by monika kakodia
  • 7.4k

मैं एक लेखिका हूँ इस नाते ये मेरा दायित्व है कि लोगों की सोच पर पड़ी हुई गर्द को ...

कीमती साड़ी

by monika kakodia
  • (4.8/5)
  • 5.4k

कीमती साड़ी" माँ ! कहाँ रखी हैं अलमारी की चाबियाँ ? दो ना जल्दी से " दीपू राजधानी एक्सप्रेस ...

नशा

by monika kakodia
  • 7.9k

"देखना एक दिन मेरा बेटा अफसर बनकर लौटेगा" रुंधे हुए गले और नम आँखों से पिता अपनी ...

मेरे लफ़्ज़ मेरी कहानी - 2

by monika kakodia
  • 6.1k

अल्फ़ाज़ जो हर पल अपने से लगते हैं , जज़्बात जो महसूस होते हैं