Neetu Singh Renuka लिखित कथा

टाई और धोती

by Neetu Singh Renuka
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वह बालों में तीसरी बार कंघी फेर रही थी, मगर फिर भी संतुष्ट नहीं थी। एक ओर के बाल ...

मज़ार का दीया

by Neetu Singh Renuka
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ओमकार को अंदाज़ा हो गया था कि दिव्या ने कहीं कुछ रुपए छुपाए ज़रूर हैं वरना शेफाली को डॉक्टर ...

गलती किसकी?

by Neetu Singh Renuka
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उफ्‌ इतनी गर्मी में ट्रेन खड़ी कर दी। आदमी, आदमी की तरह नहीं भेड़-बकरी की तरह ठूँसा पड़ा है, ...

खानाबदोश ज़िन्दगी

by Neetu Singh Renuka
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पुरानीकॉलोनी के पार्क में वे दोस्तों के साथ खेल रहे थे कि मुझे देख सब छोड़-छाड़, अंजना और अंशु, ...

खाने को नहीं मिला

by Neetu Singh Renuka
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दीवार पर स्टाफ सलेक्शन कमीशन द्वारा सालाना जारी इम्तहानों की टेप से चिपकाई लिस्ट थी और उस दीवार से ...

बिछोह

by Neetu Singh Renuka
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बिछोहदूर-दूर तक हरियाली फैली थी। मंद-मंद हवा चल रही थी। इस हल्की हवा में पीपल के पत्ते एकदम मचल-मचल ...

वो वाला व्हाट्सएप ग्रुप

by Neetu Singh Renuka
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फोन की टिंग-टिंग-टुंग-टुंग की आवाज़ बराबर अंदेशा देती रहती थी कि न जाने मेरे कितने ग्रुपों में मेसज पॉप ...

सात दिन की माँ

by Neetu Singh Renuka
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भारत देश में सबसे सौभाग्यशाली स्त्री वो होती है जो स्वयं स्त्री होते हुए पुत्र रत्न को जन्म दे, ...

चोरी

by Neetu Singh Renuka
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  • 7.4k

वह इधर-उधर भटक रहा था। शायद बेमतलब या हो सकता है मतलब से भी। पिछले तीन दिन से वह ...

पाँचवाँ कप

by Neetu Singh Renuka
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गुलाबी फूल और हरी पत्तियों वाले इस बोन चाइना के कप को ख़रीदते वक़्त कभी नहीं सोचा था कि ...