Niraj Sharma लिखित कथा

बाऊजी बाआवाज़

by Niraj Sharma
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मौलिक, अप्रकाशितकहानीबाऊजी बाआवाज़उन्होंने भी कब सोचा था कि उनकी ये चुप्पी उन्हें ऐसे मोड़ पर ला खड़ा करेगी जहाँ ...

मध्य रेखा

by Niraj Sharma
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डॉ. नीरज सुधांशु मध्य रेखा उस स्पर्श से उपजी पुलक आज भी समायी है उसके मन-प्राण में। वो मीठा ...

नीला आकाश - 3 - अंतिम भाग

by Niraj Sharma
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नीला आकाश (3) "तुझे नहीं लगता, तू एक ऐसी लड़की से प्यार करने लगा है जिसे न समाज न ...

नीला आकाश - 2

by Niraj Sharma
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नीला आकाश (2) "क्या नाम है तुम्हारा?" "जी, नी...ला" झिझकते हुए धीरे से कहा उसने। "आओ बैठो।" वह सिकुड़ी-सी ...

नीला आकाश - 1

by Niraj Sharma
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नीला आकाश (1) सारी धुंध छँट गयी थी। खुशी का ओर छोर नहीं था। दोनों हाथ पैफलाये चक्राकार घूमते ...