कहानी पाँचवीं बेटी"आप एक बार फिर सोच लेते भाभीसा," दया ने आंगन में लगे झूले पर बैठते हुए कहा।"इसमें ...
कहानीस्वेटर के फंदेसूरज अस्ताचल की ओर बढ़ते हुए अपनी लालीमा के निशान नीलगगन पर छोड़ रहा था। ऐसा लग ...
अजीब कशमकश थी गिरीराज के मन में ।रात आधी से ज्यादा बीत चुकी थी पर उसकी आंखों में अंश ...
कहानीहारने से पहले टिप....टिप.... टिप.....टपकती हुई गुल्कोज की बूंदें पिछले चार दिनों से लगातार मेरे शरीर में प्रवेश कर ...
कहानीअपना आदमीनीलिमा आज बहुत थक गई थी। रविवार का दिन,ऊपर से कामवाली की छुट्टी और टीवी पर क्रिकेट मैच ...
कहानीआइ लव यू मंगलासांयकालीन सैर से वापस आकर बनवारीलाल ने अभी जूते खोले भी नहीं थे कि बहू ने ...
कहानीकामिनी निर्विकार भाव से बैठी शून्य में ताक रही थी। सामने रखी हुई चाय कब की ठंडी हो ...
कहानी - संदूक में सपनासंदूक में सपनामैं कब से अनमनी सी बैठी कभी अतीत की झांकियों में खो रही ...
कहानीगुङिया भीतर गुङियागुङ़िया भीतर गुङ़ियाचांदनी.... चांदनी.... चांदनी.... चिल्लाते हुए मैं लगातार उसके पीछे भाग रहा था पर वो मेरी ...