praveen singh लिखित कथा

सच्चा प्यार

by praveen singh
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अजीत का जीवन बिल्कुल सामान्य चल रहा था। वह एक छोटे से कस्बे में पला-बढ़ा था, और अपनी मेहनत ...

सॉरी यार

by praveen singh
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शिवा और अमित बचपन से ही एक-दूसरे के सबसे अच्छे दोस्त थे। दोनों ने साथ में स्कूल, कॉलेज और ...

बचपन का गुल्लक

by praveen singh
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मैं अपने कपडे को पैक कर रहा था | कल सुबह में ही ४ बजे के करीब मेरी ट्रैन ...

बिछड़ना

by praveen singh
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मै सोच रहा हूँ, कुछ गुजरी हुई बातों को ...

माँ कि ममता

by praveen singh
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“माँ”दर्द होता था हमें अगर, तो माँ की नींद उड़ जाती थी ठण्ड में ऐसे रहो,गर्मी में ये करो, ...

साईकिल की चेन

by praveen singh
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अजीत आज काफ़ी सालो बाद अपने शहर को लौटा था| घर पर मां- पिता से बात करते हुए उसे ...

सख़्त पिता

by praveen singh
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अम्बेडकर पार्क, जो कि गोरखपुर में तारामंडल रोड़ पर है| शाम का वक्त था और पार्क में काफी चहल ...

सपना

by praveen singh
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सपना,हर इंसान एक छोटी उम्र से ही कोई ना कोई सपना देखकर ही बड़ा होता है, किसी को क्रिकेटर, ...

भूख

by praveen singh
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अमित चाय की दुकान पर बैठा हुआ था| उसकी नजर चाय की दुकान पर चाय की दुकान पर चाय ...

“दर्द-ऐ-एहसास”

by praveen singh
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we feel awesome when we live, spent time with that person whom we love a lot, but because of ...