Pritpal Kaur लिखित कथा

इश्क फरामोश - 20 - अंतिम भाग

by Pritpal Kaur
  • 6.2k

20. कहीं दूर निकल जाएँ बच्चे आज कल रोजाना स्कूल के बाद सीधे भापाजी के घर आने लगे थे. ...

इश्क फरामोश - 19

by Pritpal Kaur
  • 5.8k

19. आखिर तुम्हे आना था सुबह अभी सिर्फ अनीता ही उठी थी. भापाजी और गायत्री के लिए चाय की ...

इश्क फरामोश - 18

by Pritpal Kaur
  • 5.9k

18. ये भी होना ही था. सुजाता को भारत आये हुए तीन हफ्ते हो चुके थे. दाढ़ का इलाज ...

इश्क फरामोश - 17

by Pritpal Kaur
  • 5.4k

17. कभी यूँ भी होता तीन दिन बाद जब किरण ऑफिस जा रही थी फिर रौनक का फ़ोन आया. ...

इश्क फरामोश - 16

by Pritpal Kaur
  • 5.4k

16. बच बच के निकलना सुजाता दो दिन से सोच रही है कि आसिफ से बात की जाए. मगर ...

इश्क फरामोश - 15

by Pritpal Kaur
  • 5.2k

15. कभी छूटा ही नहीं था रौनक आज घर आया तो जैसे वो रौनक नहीं था. कोई और ही ...

इश्क फरामोश - 14

by Pritpal Kaur
  • 5.3k

14. वो गुजरा ज़माना सुजाता की फिलिंग के बाद दवाएं बता कर उन्हें अगले हफ्ते की अपॉइंटमेंट दे कर ...

इश्क फरामोश - 13

by Pritpal Kaur
  • 5.1k

13. यूँ मिलना किसी का अचानक इतवार का दिन पूरे घर के लिए बहद व्यस्तता से भरा रहा. नीरू ...

इश्क फरामोश - 12

by Pritpal Kaur
  • 5.1k

12. एक घर हो हमारा सोनिया का हाथ पकडे हुए नीचे उतर कर जब रौनक लिविंग रूम में पहुंचा ...

इश्क फरामोश - 11

by Pritpal Kaur
  • 5.3k

11. डर काहे का मम्मी को एअरपोर्ट से ले कर आ रही थी किरण. माँ-बेटी का मिलाप तीन साल ...