एक अजीब सी बेचैनी तारी हो गई थी मुझ पर...। क्या हो रहा होगा वहाँ...? काश, मैं तुम्हारे साथ ...
यादें...यादें...और यादें...। कितनी अजीब होती हैं न यादें...? कभी ब्लैक एण्ड व्हाइट, तो कभी सतरंगे इंद्रधनुष-सी रंग-बिरंगी...। वही यादें ...
फ़ैज़ान मियाँ एकदम खामोश हो गए। आलिया आखिर कैसा वादा चाह रही थी...बिन जाने कैसे खुदा को हाज़िर-नाज़िर जान ...
ढोलक की थापों के साथ बन्ना घोड़ी गाने वाली का सुर भी तार-सप्तक नापने लगता था। बीच-बीच में कहीं ...
बत्ती फिर जला तेज़ी से वो दरवाज़े की ओर लपका। कुंडी खोल दरवाज़े को खींचा तो याद आया, वो ...
चाँद किसी बदमाश बच्चे सा पेड़ की फुनगी पर जा टँगा था...गोल मटोल से चेहरे पर शरारती मुस्कान लिए ...
निर्मल बाहर क्या गया, मानो मेरी आत्मा ले गया...। दिन काटे नहीं कटता था...। माँ भी बहुत खालीपन महसूस ...
कई दिनो से सोच रही हूँ, कोई कहानी लिखूँ। आप भी सोचेंगे, ये कहानी लिखने का आइडिया मेरे दिमाग़ ...
दो-तीन दिनो तक मेरी हिम्मत ही नहीं हुई थी सागर को फोन करने की...फिर आखिरकार फोन कर ही दिया। ...
नर्स ने आकर मुझे झकझोरा तो सहसा मैं जैसे एक बहुत गहरे कुऍ से बाहर आई। दो पल को ...