Pradeep Kumar sah लिखित कथा

प्रदीप कृत लघुकथाओं का संसार

by Pradeep Kumar sah
  • 5.9k

दो लघुकथाएँ।

प्रतीति

by Pradeep Kumar sah
  • 6.8k

मदारी अपने चारो तरफ घेरा बनाए खड़ी तमाशाई भीड़ को देखा तो अपना डमरू जोर-जोर से बजाने लगा. कुछ ...

जमूरा

by Pradeep Kumar sah
  • 18.9k

स्वामी बदलने के साथ जमूरा का स्वभाव भी बदल जाता है, इस तथ्य से अनभिज्ञ पूर्वाग्रही मदारी के हाथ ...

गुलाटी कला महातम्य

by Pradeep Kumar sah
  • 6.7k

वह बोला, भाई लोगो, पलटना उर्फ़ गुलाटी शीर्ष स्तर का एक अद्भुत और बेहद रोमांचक कला है तथा चराचर ...

नैतिकता वनाम संग्राम

by Pradeep Kumar sah
  • 6.9k

अनपढ़, जाहिल, समाज-द्रोही दलित चिंतकों और वाम पंथियों को चुनौती, चुनौती और खुली चुनौती कि वे उपरोक्त चौपाई का ...

कुर्सी

by Pradeep Kumar sah
  • 6.2k

उसकी लिखावट भी अच्छी नहीं थी. इसलिये उन्हें पूरा यकीन था कि वह बोर्ड परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो ...

मरी हुई आत्मा

by Pradeep Kumar sah
  • 12.1k

बदलू के मृतात्मा ने विचार किया कि वह अपना शरीर पुनः प्राप्ति हेतु यह कहाँ आ गया? वह मृतात्मा ...

पागलपन का इलाज - 3

by Pradeep Kumar sah
  • 11.8k

उसने कहा,"अब वास्तव में उससे मिलने का कोई औचित्य समझ नहीं आता. मैं समझता हूँ कि हम दोनों के ...

लक्ष्य वनाम् जीवन और ज़मीर(दो कहानी)

by Pradeep Kumar sah
  • (4.3/5)
  • 7.6k

उसने देखा कि अन्दर से मिलकर जो प्रतिभागी बाहर आता, वह प्रसन्नचित होता. तथापि वे सब पूरी गोपनीयता बरत ...

सेवकाई वनाम् आकांक्षा

by Pradeep Kumar sah
  • 5.1k

दो रचना