Rishi Sachdeva लिखित कथा

मुझे वापस बुला लो

by Rishi Sachdeva
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"शब्द मेरे हैं पर भाव शायद आपके मन के भी वहीं हो जो मेरे मन के"आनंद मूवी में राजेश ...

स्वर्णिम भारत की और......

by Rishi Sachdeva
  • 7.9k

कठिन समय है, मानवीय संवेदनाएँ काँच की तरह होती है, कब टूट जाये , पता ही नहीं लगता।मनोवैज्ञानिकों का ...

अभिव्यक्ति - काव्य संग्रह पार्ट- 1

by Rishi Sachdeva
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"निःशब्द"शब्द को निःशब्द कर दूं, वाणी को विराम दूँ,,ह्रदय में है आज कुछ ऐसा करूँ की स्वयं को अभिमान ...

लॉक डाउन के पन्ने - प्रकृति कुछ कहती है :

by Rishi Sachdeva
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"ज़िन्दगी न मिलेगी दुबारा" और निश्चित रूप से ये समय भी जीवन में दुबारा नहीं आएगा।अधिकांश लोगों का मानना ...

थप्पड़ - बस इतनी सी बात

by Rishi Sachdeva
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एक ऑरेंज कैंडी का मज़ा लेते फ़िल्म के किरदारों के संग मस्ती से शुरू हुई और न जाने कहाँ-कहाँ ...

सिगरेट - राख - ज़िन्दगी

by Rishi Sachdeva
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मैं अपनी बॉल्कनी से तुम्हारी बॉल्कनी की और देखता हूँ, पर नहीं देख पाता तुम्हे, शायद इसलिये की तुम ...

यादें

by Rishi Sachdeva
  • (3.7/5)
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""यादें""कुछ अधूरे ख्वाब देखे मैंने कल रात,अजीब से थे, मैंने भुला दिया था तुम्हे, तुम्ही ने कहा था की ...