Saroj Verma लिखित कथा

सन्यासी -- भाग - 30

by Saroj Verma
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जयन्त उस वक्त तो वहाँ से चला गया लेकिन उसके मन में कुछ और ही चल रहा था,वो सुहासिनी ...

सन्यासी -- भाग - 29

by Saroj Verma
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इधर जब शिवनन्दन सिंह जी घर लौटे तो उन्हें देवराज और प्रयागराज ने सुहासिनी के बारे में सब बता ...

सन्यासी -- भाग - 28

by Saroj Verma
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और फिर उसने फौरन ही चूल्हा बालकर बैंगन और टमाटर भुनने को रख दिए और जयन्त से बोली...."आप थोड़ी ...

सन्यासी -- भाग - 27

by Saroj Verma
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सुमेर सिंह की फाँसी की सजा माँफ होने पर वरदा ने जयन्त को धन्यवाद किया और उससे बोली...."जयन्त! आज ...

सन्यासी -- भाग - 26

by Saroj Verma
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फिर नलिनी जयन्त से बोली...."लेकिन मुझे ये बात समझ नहीं आई कि ये अपने पति के खिलाफ जाकर तुम्हें ...

सन्यासी -- भाग - 25

by Saroj Verma
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और वो उससे बोली...."क्या सोच रहा है रे! कहीं तुझे आँची की याद तो नहीं आ रही?"अपनी माँ नलिनी ...

लागा चुनरी में दाग़--(अन्तिम भाग)

by Saroj Verma
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और जब डाक्टर सतीश ने अमोली को वहाँ देखा तो वो उससे बोले... "अमोली! तुम और यहाँ" "हाँ! सतीश! ...

सन्यासी -- भाग - 24

by Saroj Verma
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जयन्त अपना चेकअप कराकर क्लीनिक से वापस घर लौट आया और उसने सभी को बताया कि मैं अब बिलकुल ...

लागा चुनरी में दाग़--भाग(५९)

by Saroj Verma
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धनुष उस रात प्रत्यन्चा से बहुत कुछ कह चुका था लेकिन धनुष प्रत्यन्चा से वो बात नहीं कह पाया ...

सन्यासी -- भाग - 23

by Saroj Verma
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जब सबने नाश्ता कर लिया तो शिवनन्दन जी हरदयाल से बोले...."तो हरदयाल! अब हम सभी को निकालना चाहिए","जी! अब ...