S Bhagyam Sharma लिखित कथा

अपराध ही अपराध - भाग 20

by S Bhagyam Sharma
  • 219

अध्याय 20 “मैं पर्सनल सेक्रेटरी हूं। वे अब बाहर जाने-आने, के स्थिति में नहीं हैं। इसीलिए वे अपनी ...

अपराध ही अपराध - भाग 19

by S Bhagyam Sharma
  • 348

अध्याय 19 पिछला सारांश- कीरानूर मंदिर से कृष्ण राज ने पहले पहले चुराई हुई मूर्ति को उसी जगह ...

अपराध ही अपराध - भाग 18

by S Bhagyam Sharma
  • 444

अध्याय 18 “अम्मा मत परेशान हो। धना अब एप्पल मोबाइल ही लेकर देगा। वही सब ठीक हो गया ना?” ...

अपराध ही अपराध - भाग 17

by S Bhagyam Sharma
  • 435

अध्याय 17 पिछला सारांश: अनाथालय में उस बच्चों को भेज दिया ऐसा बताया।’कार्तिका इंडस्ट्रीज के मालिक कृष्ण राज ...

अपराध ही अपराध - भाग 16

by S Bhagyam Sharma
  • 549

अध्याय 16 “फिर इसे?” “इसे किस मंदिर में से चोरी किया था, उस मंदिर में जाकर रखना है।” ...

अपराध ही अपराध - भाग 15

by S Bhagyam Sharma
  • 543

अध्याय 15 पिछला सारांश - कार्तिका इंडस्ट्रीज के संस्थापक कृष्णा राज के दिए पहले असाइनमेंट को सफलतापूर्वक धनराजन ...

अपराध ही अपराध - भाग 14

by S Bhagyam Sharma
  • 552

अध्याय 14 “ बोले तो अब ही सर, मैं आपको बहुत ही सम्मान देता हूं।” “मैं जो रुपए ...

अपराध ही अपराध - भाग 13

by S Bhagyam Sharma
  • 633

अध्याय 13 पिछला सारांश- कार्तिका इंडस्ट्रीज के मालिक कृष्णा राज के मनौती को पूरा करके, उनकी लड़की और उनके ...

अपराध ही अपराध - भाग 12

by S Bhagyam Sharma
  • 489

अध्याय 12 कार्तिका के प्रश्न, पर पहाड़ी रास्ते में पेड़ के छाया के नीचे गाड़ी को उसने खड़ी ...

अपराध ही अपराध - भाग 11

by S Bhagyam Sharma
  • 615

अध्याय 11 पिछला अध्याय का सारांश- ‘कार्तिका इंडस्ट्रीज’ के मालिक कार्तिका के साथ तिरुपति अपने सहायक धनंजय के ...