Shwet Kumar Sinha लिखित कथा

बेमेल - अंतिम भाग

by Shwet Kumar Sinha
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“सुलोचना, मां के ये जेवर अभी भी जौहरी काका के पास गिरवी पड़े हैं। हम इन्हे वापस नहीं ले ...

बेमेल - 33

by Shwet Kumar Sinha
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“भगवान के लिये ऐसे कसम न दें! मैने आजतक इश्वर को तो नहीं देखा! लेकिन जरुर उनका चेहरा आपसे ...

एक चिट्ठी प्यार भरी - 4

by Shwet Kumar Sinha
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प्रिय प्रियतमा, आज एकबार फिर तुम्हारी नगरी में हूं। पर सबकुछ कितना बदल गया है यहां! या फिर शायद ...

बेमेल - 32

by Shwet Kumar Sinha
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.....आज श्यामा के पास अच्छा मौका था हवेलीवालों से बदला लेने का। शादी के बाद से आजतक उसने बहुत ...

बेमेल - 31

by Shwet Kumar Sinha
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“अब समझ में आया! ये सब इस श्यामा रानी का किया-धरा है! इसी ने इन भोले- भाले गांववालों को ...

बेमेल - 30

by Shwet Kumar Sinha
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.....मुखिया के मुख से श्यामा के लिए अपमानजनक बातें सुन भीड़ में खड़ी औरतें एक सूर में उसपर टूट ...

बेमेल - 29

by Shwet Kumar Sinha
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....“तो और क्या करें!! आज हवेलीवालों ने श्यामा काकी को मारने के लिए अपने आदमियों को लगाया है! अगर ...

बेमेल - 28

by Shwet Kumar Sinha
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....श्यामा को सामने खड़ा देख विजेंद्र के आंखों से पश्चातापरूपी आंसू चेहरे पर आ लुढ़के। उसकी धुंधली होती निगाहें ...

बेमेल - 27

by Shwet Kumar Sinha
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*** “काकी, कुछ समझ में नहीं आ रहा! अपने छोटे भाई-बहनों का पेट कैसे पालूं? पिताजी तो पहले ही ...

बेमेल - 26

by Shwet Kumar Sinha
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….“तुम सोयी थी। इसिलिए तुम्हे जगाना ठीक नहीं समझा! क्या हुआ है? इस वक़्त तो तुम्हे कभी सोते हुए ...