Husn Tabassum nihan लिखित कथा

दोज़खी

by Tawassum niha
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हुस्न तबस्सुम निहाँ रहमत के घर फिर अचानक तोड़-फोड़ शुरू हो गई थी। लोग बाग दौड़ पड़े थे और ...

कामनाओं के नशेमन - 19 - अंतिम भाग

by Tawassum niha
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कामनाओं के नशेमन हुस्न तबस्सुम निहाँ 19 ‘’...अमल...क्या है ये सब...क्या हो रहा है। ये सस्पेंस खत्म करो। मेरा ...

कामनाओं के नशेमन - 18

by Tawassum niha
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कामनाओं के नशेमन हुस्न तबस्सुम निहाँ 18 ‘‘..मैं कुछ सोच नहीं पा रहा हूँ हनी।‘‘ अमल ने एक गहरी ...

कामनाओं के नशेमन - 17

by Tawassum niha
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कामनाओं के नशेमन हुस्न तबस्सुम निहाँ 17 दोपहर को मोहिनी एक आंधी की तरह कॉलेज से लौट कर बेला ...

कामनाओं के नशेमन - 16

by Tawassum niha
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कामनाओं के नशेमन हुस्न तबस्सुम निहाँ 16 रात को जब दूध का गिलास मोहिनी केशव नाथ जी के कमरे ...

कामनाओं के नशेमन - 15

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कामनाओं के नशेमन हुस्न तबस्सुम निहाँ 15 ‘‘फिर क्या होगा इन गहनों का?‘‘ बेला ने बहुत ही आहत भाव ...

कामनाओं के नशेमन - 14

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कामनाओं के नशेमन हुस्न तबस्सुम निहाँ 14 जिसके पास कुछ याद रखने के लायक कोई अतीत ही न हो ...

कामनाओं के नशेमन - 13

by Tawassum niha
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कामनाओं के नशेमन हुस्न तबस्सुम निहाँ 13 रजिया बेग़म सहसा किसी गहरे समंदर में डूब गईं जैसे। वह पलों ...

कामनाओं के नशेमन - 12

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कामनाओं के नशेमन हुस्न तबस्सुम निहाँ 12 ‘‘मैं जा रहा हूँ मेडिकल कॉलेज।‘‘ अमल ने बहुत तेजी के साथ ...

कामनाओं के नशेमन - 11

by Tawassum niha
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कामनाओं के नशेमन हुस्न तबस्सुम निहाँ 11 अमल माला के लिए ढेर सारे कपड़े ले आए खरीद कर। इसके ...