ब्याह ??? (1) “नैन नक्श तो बडे कंटीले हैं साफ़ सुथरे दिल को चीरने वाले गर जुबान पर भी ...
बुरी औरत हूँ मैं (1) झुरमुटी शामों में उदास पपीहे की पीहू पीहू कौंच रही थी सीना और नरेन ...
नाम में क्या रखा है (1) “फलसफों को जरूरत नहीं किसी अफसाने की ये बात तो है बस दिल ...
“ ये कैसे हो सकता है ? नहीं, ये संभव नहीं, वो भी इतने साल बाद ? अपना ही ...
खेल ----आखिर कब तक ? (1) मन की उद्वेलना हमेशा शब्दों की मोहताज नहीं होती । होती है कोई ...
अमर प्रेम प्रेम और विरह का स्वरुप (1) प्रेम और विरह का स्वरुपप्रेम ----एक दिव्य अनुभूति --------कोई प्रगट स्वरुप ...