Vinita Shukla लिखित कथा

व्हाट्स- एप नंबर

by Vinita Shukla
  • 9.7k

कैलेंडर मानों मुंह चिढ़ा रहा है; घोषणा कर रहा है कि मिली का जन्मदिन है. रहरहकर उसकी यादें मुझे ...

काठ का उल्लू

by Vinita Shukla
  • 12.6k

गनेसीलाल एकटक, बैठक में रखी, उलूक- प्रतिमा को देख रहे हैं. उनका बड़ा बेटा मोहित, इसे किसी मेले से ...

पुनर्जन्म

by Vinita Shukla
  • (4.5/5)
  • 12.3k

बहुत दिनों से नौवीं की छात्रा कलिका, स्टाफ- रूम में चर्चा का विषय बनी हुई है. शिक्षिकाएं एकमत हैं ...

जीवन के रंग...

by Vinita Shukla
  • 7.5k

आकाश में, कोई छुपा प्रिज्म हो शायद...जिसने प्रकाश को, सात रंगों में छितराया था. अम्बर के सीने को मथकर, ...

धूप छाँव

by Vinita Shukla
  • 14.6k

खुशियों को पंख मिले और जीवन को नवल संभावनाएं. गोपेश को उसने पसंद किया था. लगन के पहले, वरपक्ष ...

अनकही

by Vinita Shukla
  • 7.1k

बैलगाड़ी नहरिया पार जा रही थी- हिचकोले पर हिचकोले खाती हुई...कच्चे मिट्टी के पुल से, धूल के गुबार उठकर, ...

तिरोहित

by Vinita Shukla
  • 6k

स्वरा एकटक उस विशालकाय बोर्ड को देख रही थी, जिस पर लिखा था, “रोहिणी देवी मेमोरियल हॉस्पिटल”. नये पेंट ...

मुखौटे

by Vinita Shukla
  • 9.6k

यामिनी की उड़ती हुई नज़र अपने पति सुदेश पर पड़ी. सुदेश को अपना बनाने के लिए, उसे ऐसे ही ...

डॉलफिनें

by Vinita Shukla
  • 6.5k

कुंठा में डूबी प्रौढ़ स्त्री, दूसरी स्त्रियों को शिकार की तरह देखती है. उन्हें अपनी मीठी मीठी ...

अंधी खोहों के परे

by Vinita Shukla
  • 7.7k

अतीत की दहशत में जीती हुई नायिका, जीवन में कुछ कर पाने के लिए, अपने आप से लड़ती है. ...