Sangram Singh Rajput

Sangram Singh Rajput मातृभारती सत्यापित

@sangramsingh

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तुमच्याबद्दल

ग़ज़ल अकेलेपन की आदत ने बिगाड़ा, मुझे मेरी ही संगत ने बिगाड़ा नहीं टिकतीं किसी मंज़र पे नज़रें, मिरी आँखों को हैरत ने बिगाड़ा बनाया काम बदनामी ने कोई, तो कोई काम शौहरत ने बिगाड़ा बिगाड़ा खेल जब क़ुदरत का हमने, हमारा खेल कुदरत ने बिगाड़ा.