एडिक्शन - पर्व दुसरे - भाग 30

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तुझको पाकर लगता थामैने जी ली अपनी जिंदगीतुझको खोकर मैने जाना हैतेरे बिना तो मै कुछ भी नहीहाथो से हाथ छुट गयेरास्ते सुनसान हो गयेमै चलती जा रही हु अंधेरी रात मेआवाज गुंज रही है फिर भी तू मेरे पास नही याद आते है वो दिनजब भी तुम छेडा करते थेगुस्सा होकर भी तुममुझसे अकसर प्यार जताते थेअब ना वो गुस्सा हैना कही प्यार हैतुम छुपे हुये हो इस पलना कुछ होश है ना मेरा खयाल हैक्या गुनाह हो गया मुझसे अब तो बता दे ए हमसफरकिस राह पर मिलोगे तुमभेज देना मुझे वो खबर मै दौडी चली आउंगी तुझसे मिलने के लियेबस केह