Madhavi Marathe लिखित कादंबरी गुलदस्ता

गुलदस्ता द्वारा Madhavi Marathe in Marathi Novels
          1 भोर होते ही खेतों की                                                                                        ...
गुलदस्ता द्वारा Madhavi Marathe in Marathi Novels
                           8 तुफानों के लपेट में आकर बिखरते बिखराते दौडते जाए सपन सलोनी परी देश में बादल संग उडते जाए मि...
गुलदस्ता द्वारा Madhavi Marathe in Marathi Novels
       १४ परबतों के पैरोंतले एक साँस रुक गई ऊँची चोटियाँ देख के मन की उमंग थम गई परबत चोटियों के लंबे कठिन रास्ते कही चु...
गुलदस्ता द्वारा Madhavi Marathe in Marathi Novels
गुलदस्ता - ४   २० खुले मैदान में जब बिजली चमकी तब होश गवाँकर मैं उसे देखतेही रह गई क्या उसका बाज चापल्य से किया हुआ चकाच...
गुलदस्ता द्वारा Madhavi Marathe in Marathi Novels
 २४ जस्मिन के लता मंडप में कितने फुल गिर गए धरती पर गिरे बारिश पर सजकर बैठ निखर रहे पंख फडफडाते गुनगूनाते चिडियाँ आती जा...