|| श्रीदुर्गा माता -दर्शन ||
(नवरात्र - गीत -संग्रह )
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नमस्कार - वाचक मित्र हो
नवरात्र निमित्ताने आई अंबाबाई -कोल्हापूर , माहूरगड निवासिनी -रेणुका माता
तुळजापूरची - भवानी आई , सप्तश्रुंगगडावरी - सप्तशृंगीमाता ,
यांचे बरोबरोबर आपल्या देशात देवी माता , दुर्गामाता यांची आराधना आपण सारेजण करीत असतो.
हा नवरात्र -जागर उत्सव ,देवी-पूजा सर्वत्र मोठ्या भक्तिभावाने देशभरात साजरा होत असतो.
आई- अंबाबाई च्या प्रेरणेने ..दुर्गामाता दर्शन ..कवितांची ही शब्दरूपी माळ मी अर्पण केली आहे.
|| श्रीदुर्गामाता -दर्शन ||- (नवरात्र -गीत -संग्रह ) , सादर करीत आहे .
आपण भक्तिभावाने या कवितांचा भक्ती-आस्वाद घ्यावा .
स्नेहांकित -
अरुण वि.देशपांडे -पुणे.
९८५०१७७३४२
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१० - भक्तीकवितांचा संग्रह -
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श्री दुर्गामाता -दर्शन - नवरात्र -गीत -संग्रह ||
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||श्री ||
अंबाबाई चा उदो उदो ...
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नवरात्रीचे पर्व सुरु होता
घटस्थापना घरोघरी झाली
अंबाबाईच्या सेवे साठी आता
मंडळी सारी सिध्द जाहली .......|| १ ||
माहुरची रेणुका माता ,अन
भवानी तुळजापूर वासिनी
सप्तश्रुंग गडावरी आईच्या
दर्शन घेण्यासी सारी जमली ......|| २||
आई तुजला सारी काळजी
तुझ्या लेकरांची आता ग तुला
भटका -भटकी मनाची थांबव
विनंती करितो आता तुला .....|| ३||
नवरात्रीचे पर्व अवघे पावन
करु आईचे स्मरण पावन
एकमुखाने म्हणू या सारे
अंबाबाईचा उदो उदो..... .|| ४ ||
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१.
नवरात्र-महोत्सव - माळ -पहिली
दुर्गामाता दर्शन- शैलपुत्री रूप ।।
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जयदेवी जयदेवी आई अंबाबाई
घडावे सर्वरूप दर्शन भवानीआई ।।
हे दुर्गामाते, कन्या तू हिमालयाची
शैलपुत्री रूपात तुज वंदन करिती
डाव्या हातात तुझ्या त्रिशूल उभे
उजव्या हाती फुल कमळाचे शोभे....।।
वासनासुर भेटतो पावलोपावली
माय माउली संकटात सापडली
नष्ट करण्यास या भक्षकांना तूच
बुद्धी ,बळ देशी सर्वांना लवकरी.....।।
जयदेवी जयदेवी आई अंबाबाई
घडावे सर्वरूप दर्शन भवानीआई ..।।
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२.
नवरात्र -माळ - दुसरी
दुर्गामाता दर्शन- अपर्णा रूप
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दुर्गामातेचे रूप दुसरे आज पाहू
ब्रह्मचारिणी रूपात तव दर्शन घेऊ
अपर्णा, उमा ही तुझीच नावे माते
आशीर्वादे विजय,सिद्धी प्राप्त होते ।।
नवरात्र महोत्सव सुरु जाहला
तुळजापूरी, आई भवानीचा
जागर- गोंधळ सुरु जाहला
आई तुझ्या दर्शना भक्त आला ।।
तुळजापूरी निवास आईभवानीचा
दर्शन तिचे योग मोठ्या भाग्याचा
कुलस्वामिनी असे ही मायभवानी
करी रक्षण भक्तांचे हे रामवरदायिनी
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३.
नवरात्र- तिसरी माळ
दुर्गामाता दर्शन- चंद्रघंटादेवी रूप
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तिसऱ्या माळेला दर्शन घेऊ
चंद्रघंटा स्वरूपात दुर्गामातेचे
घंटाचंद्र आकारी दागिने शोभती
रुपास मातेच्या चंद्रघंटा म्हणती ।।
स्मरणमात्रे चंद्रघंटेच्या चंचल मन
ताब्यात येते ,सजग नि खंबीर होते
आराधना करावी या रूपात मातेची
आई जगदंबेची कृपा भक्तवरी होते ।।
माहूरगडावरी रेणुकामाता वास करी
घेण्या दर्शन मातेचे जाऊ गडावरी
श्री क्षेत्र माहूर आहे शक्तीचे पूर्णपीठ
करुणेची मूर्ती देवी रेणुका रक्षण करी ।।
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४.
नवरात्र -चवथी माळ
दुर्गामाता -दर्शन- कुष्मांडा देवी
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चवथी माळ नवरात्रीची आजला
नमस्कार मातेच्या कुष्मांडा रुपाला
कुष्मांड म्हणजे कोहळा, प्रतीक हे
निर्मितीचे,अनंत अस्तित्वाचे हो आहे ।।
हे विश्व कोहळ्या परी, तैसेची या
देवीमध्ये समस्त विश्व सामावले असे
नवनिर्मितीची ऊर्जा देणारी कुष्मांडा
दुर्गामाता या रूपात तुज नमन असे ।।
जाऊ आज दर्शना सप्तशृंग गडावरी
माता सप्तशृंगी या डोंगरी वास करी
शक्तीपीठ अर्धे मानिती यास मातेचे
रम्य अतिपावन दर्शन सप्तशृंगीदेवीचे ।।
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५.
नवरात्र- पाचवी माळदुर्गामाता दर्शन- देवी स्कंदमाता
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पाचवी माळ नवरात्रीची आजला
अर्पूया देवीच्या स्कंदमाता रुपाला ।।
कार्तिकेयाची माता - देवी स्कंदमाता
बालकार्तिकेयसह आरूढ सिंहावरती
शौर्य नि करुणेचे द्योतक रूप असे हे
साक्षात करूणा देवीचे मूर्ती रूप हे ।।
स्कंद म्हणजे निष्णात, तज्ञ, प्रवीण,
कौशल्यासह गुण नि निरागसपणा
वाढीस लागण्या गुण शौर्या - करुणा
स्कंदमातेचे करावी हो नित्य आराधना ।।
जाऊ चला आज आंबाजोगाईला
पूजण्यासी या माता योगेश्वरीला
कुलस्वामिनी असे ही आई जोगाई
श्री क्षेत्र प्रख्यात आहे हे अंबाजोगाई ।।
नवरात्र उत्सव आनंदे साजरा करू
माता जगदंबेचे नवरूप दर्शन घेऊ ।।
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६.
नवरात्र- सहावी माळ
दुर्गामाता दर्शन- देवी कात्यायनी
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मातृत्वाचे गुण दर्शन या रूपात होते
कात्यायनी रूपात दुर्गामाता दिसते
नाते संबंधाचे उच्च प्रतीक हे रूप असे
संगोपन - निगा राखणे गुण दोन्ही दिसे ।।
अनुरूप वर प्राप्तीसाठी या देवीची
कुमारिका आराधना हो करिती
विवाह म्हणजे सहजीवन,आपलेपणा
मनावर संस्कार हे दर्शनाने सहज होती ।।
चला आज अमरावती नगरी जाऊ
अंबामाता संस्थान विख्यात ते पाहू
अंबामातेच्या चरणी सकल इच्छा
मनोभावे अर्पूनी दर्शन मातेचे घेऊ ।।
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७.
नवरात्र- सातवी माळ
दुर्गामाता दर्शन- देवी काळरात्री
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सातव्या माळेला घ्यावे दर्शन हो
देवी काळरात्री रूपात दुर्गामातेचे ।।
काळ, म्हणजे वेळ, समय,या काळात
विश्वामधील सारेच आहे सामावलेले
रात्री "म्हणजे वेळ ती गाढ विश्रांतीची
शारीरिक मानसिक विश्रांती आत्म्याची ।।
कालरात्री म्हणजे कार्यक्षम होण्यासाठी
मिळवलेली गरजेची विश्रांती ती असते
रूप काळरात्र देवीचे असे जरी भयंकर
शुभदायिनी हे आहे तिचे नाव मनोहर ।।
नमन करू या मनोभावे एकवीरा देवीला
वास करिते ही माता डोंगरात कार्ल्याला
राजस रूप दर्शन घेऊ आई एकवीरेचे
दर्शन घेता सुख आनंद होतो या मनाला
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८.
नवरात्र - आठवी माळ
दुर्गामाता दर्शन- देवी महागौरी रूप
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आठवी माळ अर्पू या आजला
मातेच्या महागौरी या रुपाला
धवलशुभ्र , सफेद गोरे रंगाचे
प्रतीक रूप हे शुद्ध निरागसतेचे ।।
विद्वत्ता निरागसतेचा मिलाफ हे
देवी महागौरीचे प्रसन्न रूप ते
आराधना करता मनोभावे हो
महागौरी उच्च जीवनज्ञान देते ।।
करवीर नगरी नवरात्रीला सजले
अंबाबाईच्या दर्शना जन आतुरले
कोल्हापूर क्षेत्र पूर्ण शक्तीपीठ हे
अंबाबाईचे भक्त अलोट जमले ।।
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९.
नवरात्र - नववी माळ
दुर्गामाता दर्शन- देवी सिध्दीदात्री रूप
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नववी माळ नवरात्रीतली आजला
मान पूजेचा असे सिध्दीदात्री देवीचा ।।
आराधना सिध्दीदात्री देवीची करावी
साधका प्राप्ती होई सकळ सिद्धीची
गुरुपरंपरेच्या ज्ञानमार्गे भक्त चालता
प्राप्ती होते सिध्दीदात्री देवीच्या कृपेची ।।
माय तुळजाभवानी, माता रेणुकाआई
सप्तशृंगीमाता,माता योगेश्वरीजोगाई
एकवीरा आई नि कोल्हापूर अंबाबाई
साऱ्या रूपात पाहिली मायमाता आई ।।
नवरात्रीच्या पर्वात देविकृपा हो जाहली
काव्य रूपात रोज मी एक माळ बांधली
सकल कल्याणाची कामना आई चरणी
कवी अरुण म्हणे लिहिती राहो लेखणी ।।
।। इति नवरात्र - महोत्सव ।।
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नवरात्र - दुर्गामाता दर्शन-
-अरुण वि.देशपांडे- पुणे.
9850177342
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